मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी परियोजना गंगा उद्वाह योजना (Ganga Udvah Yojana) का काम युद्धस्तर पर चल रहा है. बिहार के गया और नालंदा जिलों के जल संकट के समाधान के लिए गंगा नदी का पानी मोकामा के मराची से राजगीर होते हुए 190 किलोमीटर पाइपलाइन के जरिए गया लाया जाएगा. इसका निर्माण वर्ष 2051 तक की आबादी को ध्यान में रखते हुए अत्याधुनिक अधोसंरचना से लैस कर किया जा रहा है।
इस योजना के तहत 2836 करोड़ रुपये की लागत से पटना जिले के मोकामा के पास मराची के पास से सरमेरा, बरबीघा होते हुए गंगा नदी का पानी राजगीर अनुमंडल क्षेत्र के गिरियाक प्रखंड के घोड़ाकटोरा झील में छोड़ा जाएगा. यहां से पानी को गया जिले की फल्गु नदी में ले जाया जाएगा। इसके लिए मराची से गया तक सड़क के किनारे 190 किमी लंबी पाइपलाइन बिछाई जा रही है।
सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता सुशील प्रकाश ने बताया कि ट्रायल रन सितंबर माह में निर्धारित था, मगर कोरोना काल के कारण काम में पहुंची बाधा के कारण इसकी अवधि बढ़ाई जा सकती है। फिलहाल ट्रायल रन का निर्धारित लक्ष्य सितंबर माह ही माना जा रहा है। उन्होंने आगे बताया कि अगर मौसम अनुकूल रहा, तो काम की प्रगति के हिसाब से ट्रायल रन का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अगर काम के दौरान 10 से भी ज्यादा दिनों तक लगातार बारिश होती रही, तो कार्य प्रगति प्रभावित हो सकती है।
गंगा जलापूर्ति योजना एक नजर में :
- पहले चरण में मरांची गांव के निकट से गंगा जल को उद्वाह कर मराची-सरमेरा-बरबीघा-गिरियक, गिरियक-राजगीर, गिरियक-वानगंगा-तपोवन-जेठियन-बिकैयपुर-दशरथ मांझी पास, वजीरगंज-गया के रास्ते पाइप लाइन के माध्यम से गया, बोधगया और राजगीर के लिए पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।
- गौरतलब है कि यह परियोजना तीन चरण में पूरी होगी। पहले चरण में पेयजल परियोजना पर काम हो रहा है। घोड़ाकटोरा के निर्माणाधीन डैम में ड्रिंकिंग वाटर के लिए 9.81 एमसीएम पानी के स्टोरेज की व्यवस्था की जा रही है। यहां वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाएगा।
- यह परियोजना आगामी वर्ष 2051 तक की आबादी को ध्यान में रखकर बनाई गई है। इस योजना में चिह्नित किए गए नालंदा के राजगीर सहित गया और नवादा जिले के लोगों को स्वच्छ पेयजल के रूप में पवित्र गंगा का जल उपलब्ध होने लगेगा। सिंचाई विभाग के पापुलेशन सेंसेक्स सर्वे के मुताबिक वर्ष 2051 तक गया व बोधगया को मिलाकर कुल 9 लाख 94 हजार 3 सौ 12 तथा राजगीर क्षेत्र के 1 लाख 42 हजार 1 सौ 79 की जनसंख्या को इस योजना का लाभ लक्षित किया गया है।
- इस परियोजना के शुरू होते ही राजगीर में अब सबमर्सिबल तथा डीप बोरिंग दंडनीय अपराध की श्रेणी में आ जाएगा। बता दें कि राजगीर के विभिन्न कुंड के गर्मजल झरने और धाराओं सहित सभी जलस्रोतों ने दम तोड़ दिया था। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि इस परियोजना से अब पानी की समस्या समाप्त हो जाएगी। इससे राजगीर का भू गर्भ जल का खजाना अपने मूल अस्तित्व में रहेगा। इस परियोजना के लाभ मिलते हीं लोगों के लिए सबमर्सिबल डीप बोरिंग करना दंडनीय अपराध हो जाएगा।