विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में पाए जाने वाले एक कोरोनावायरस संस्करण को वैश्विक “ग्लोबल वैरिएंट ऑफ़ कंसर्न – Global variant of Concern” के रूप में वर्गीकृत किया है। इस वेरिएंट का नाम B.1.617 है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, यह संस्करण पहले ही 30 से अधिक देशों में फैल चुका है। यह अन्य वेरिएंट की तुलना में अधिक ट्रांसमिसिबल है। इस संस्करण को “डबल म्यूटेंट वैरिएंट” भी कहा जाता है। इसे पहली बार यूनाइटेड किंगडम के स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा मान्यता दी गई थी।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह संस्करण संभवत: बाकी कोविड-19 वेरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामक है। हालांकि, इसने हालिया लहर के लिए अपनी जिम्मेदारी का आकलन नहीं किया है। डब्ल्यूएचओ ने आगाह किया कि अपर्याप्त निगरानी के कारण भारत समेत कई अन्य देशों में पॉजिटिव सैम्पल्स के थोड़े से हिस्से की ही जीनोम सैम्पलिंग हुई है, वह भी अपर्याप्त सर्विलांस के, जिससे बी.1.617 के बारे में किसी निष्कर्ष पर पहुंचना मुश्किल हो गया है।
क्या है B.1.617 :
B.1.617 को पिछले साल अक्टूबर में पहचाना गया था। तब महाराष्ट्र के सैम्पल्स में इसके होने की पुष्टि हुई थी। इसे ‘डबल म्यूटेशन’ वेरिएंट कहा गया। ‘डबल म्यूटेशन’ का मतलब वायरस के स्पाइक प्रोटीन में आए दो बदलावों E484Q और L452R से है। ग्लोबल रिपॉजिटरी के अनुसार, पिछले 45 दिनों में जितने भी सैम्पल टेस्ट हुए हैं, उनमें से 66% में यही वेरिएंट पाया गया है। इस बात के भी सबूत मिले हैं कि यह वेरिएंट ज्यादा संक्रामक है।