आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली के लिए हरित ऊर्जा कॉरिडोर ( Green Energy Corridor ) के दूसरे चरण को मंजूरी प्रदान की है
यह योजना 7 राज्यों में लगभग 20 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा बिजली परियोजनाओं के लिए ग्रिड एकीकरण और बिजली निकासी की सुविधा प्रदान करेगी।
7 राज्यों में गुजरात‚ हिमाचल प्रदेश‚ कर्नाटक‚ केरल‚ राजस्थान‚ तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।
इस योजना के तहत लगभग 10750 सर्किट किमी. पारेषण लाइन तथा सब-स्टेशनों की लगभग 27,500 मेगा वोल्ट-एम्पियर (एमवीए) ट्रांसफार्मर क्षमता को अतिरिक्त रूप से जोड़े जाने हेतु मंजूरी प्रदत्त की गई है।
योजना को कुल 12031.33 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से शुरू किया जाना लक्षित है‚ जिसमें केंद्रीय वित्तीय सहायता परियोजना के 33 प्रतिशत के बराबर होगी।
अवधि 5 वर्ष (वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26) तक है।
केंद्रीय वित्तीय सहायता से राज्यांतरिक पारेषण शुल्कों का समायोजन करने में सहायता प्राप्त होगी‚ जिससे बिजली की कीमत को कम रखा जा सकेगा।
यह योजना वर्ष 2030 तक 450 गीगावॉट स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य प्राप्त करने में मददगार होगी।
यह योजना हरित ऊर्जा कॉरिडोर चरण-1 के अतिरिक्त है‚ जो ग्रिड एकीकरण तथा लगभग 24 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा निकासी के संदर्भ में आंध्र प्रदेश‚ गुजरात‚ हिमाचल प्रदेश‚ कर्नाटक‚ मध्य प्रदेश‚ महाराष्ट्र‚ राजस्थान और तमिलनाडु में पहले से संचालित है।
इस योजना के वर्ष 2022 तक पूरा होने की संभावना है।