भारतीय नौसेना द्वारा डिजाइन किया गया Oxygen Recycling System ( ऑक्सीजन रीसाइक्लिंग सिस्टम )

भारतीय नौसेना की दक्षिणी नौसेना कमान के डाइविंग स्कूल ने ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए एक ‘ऑक्सीजन रीसाइक्लिंग सिस्टम’ ( Oxygen Recycling System ) की अवधारणा और डिजाइन का काम किया है। डाइविंग स्कूल के पास इस क्षेत्र में विशेषज्ञता है क्योंकि स्कूल द्वारा उपयोग किए जाने वाले कुछ डाइविंग सेट्स में इस आधारभूत सिद्धांत का उपयोग किया जाता है।
ऑक्सीजन रीसाइक्लिंग सिस्टम (ओआरएस) को डाइविंग स्कूल के लेफ्टिनेंट कमांडर मयंक शर्मा ने डिजाइन किया है। सिस्टम की डिजाइन का पेटेंट हो चुका है

यह ऑक्सीजन रीसाइक्लिंग सिस्टम ( Oxygen Recycling System ) मौजूदा ऑक्सीजन सिलेंडरों के जीवनकाल का दो से चार बार तक विस्तार करने के लिहाज से डिज़ाइन किया गया है, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि एक मरीज द्वारा अंदर ग्रहण की गई ऑक्सीजन का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही वास्तव में फेफड़ों द्वारा अवशोषित है, शेष हिस्सा शरीर द्वारा पैदा की जाने वाली कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) समेत वातावरण में बाहर निकाल दिया जाता है। उच्छ्वास की गई ऑक्सीजन का दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है, बशर्ते इसमें शामिल कार्बन डाई ऑक्साइड को हटा दिया जाए। यह स्थिति हासिल करने के लिए ओआरएस द्वारा रोगी के मौजूदा ऑक्सीजन मास्क में एक दूसरा पाइप जोड़ा जाता है जो कम दबाव वाली मोटर का उपयोग करके रोगी द्वारा निकाली गए हवा को अलग करता है।

मास्क का इनलेट पाइप (O2 के लिए) एवं मास्क का आउटलेट पाइप (बाहर निकाली हवा के लिए) दोनों पाइप्स को हर समय गैसों का सकारात्मक दबाव एवं एकदिशात्मक प्रवाह बनाए रखने के लिए नॉन रिटर्न वाल्व के साथ फिट किया जाता है ताकि रोगी की डाईल्यूशन हाईपोक्सिया के प्रति सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। निकाली गई गैसें, मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन, के तत्पश्चात एक बैक्टीरियल वायरल फिल्टर एंड हीट एंड मॉइस्चर एक्सचेंज फ़िल्टर (BVF-HME फिल्टर) में डाला जाता है जिससे किसी भी प्रकार की वायरसजनित अशुद्धियां अवशोषित की जा सकें।

इस वायरल फिल्ट्रेशन के बाद यह गैसें एकहाइ ग्रेड कार्बन डाई ऑक्साइड स्क्रबर से एक हाइ एफिशिएंसी पर्टीक्युलेट (एचईपीए) फ़िल्टर से होकर गुजरती हैं जो कार्बन डाई ऑक्साइड एवं अन्य कणों को अवशोषित कर शुद्ध ऑक्सीजन को प्रवाहित होने देता है। इसके बाद स्क्रबर से यह समृद्ध ऑक्सीजन रोगी के फेस मास्क से जुड़े श्वसन पाइप में डाली जाती है, जो इस प्रकार रोगी में ऑक्सीजन की प्रवाह गति में बढ़ोतरी कर देती है तथा सिलिंडर से आने वाली ऑक्सीजन के इस्तेमाल में कमी आती है।

ऑक्सीजन रीसाइक्लिंग सिस्टम (Oxygen Recycling System )  में हवा के प्रवाह को कार्बन डाई ऑक्साइड स्क्रबर के आगे फिट किए गए मेडिकल ग्रेड पंप द्वारा बनाए रखा जाता है, जो सकारात्मक प्रवाह सुनिश्चित करता है, जिससे रोगी को आरामदायक ढंग से सांस लेने में सुविधा होती है। डिजिटल फ्लो मीटर ऑक्सीजन की प्रवाह दर की निगरानी करते हैं, और ओआरएस में स्वचालित कट-ऑफ के साथ इनलाइन ऑक्सीजन और कार्बन डाई ऑक्साइड सेंसर भी लगे होते हैं, जो ऑक्सीजन का स्तर सामान्य से घटने या कार्बन डाई ऑक्साइड का स्तर बढ़ने पर ऑक्सीजन रीसाइक्लिंग सिस्टम (ओआरएस) को बंद कर देते हैं।

हालांकि इस कट-ऑफ से सिलेंडर से आ रही ऑक्सीजन का सामान्य प्रवाह प्रभावित नहीं होता है, जिससे रोगी आसानी से सांस लेता रह सकता है, भले ही ओआरएस कट-ऑफ के कारण या किसी अन्य कारण से बंद हो जाए।

देश में मौजूदा ऑक्सीजन क्षमता को बढ़ाने के अलावा ऑक्सीजन रीसाइक्लिंग सिस्टम (ओआरएस) प्रणाली का उपयोग पर्वतारोहियों/सैनिकों द्वारा उच्च ऊंचाई पर, एचएडीआर संचालन और जहाज पर नौसैनिक जहाजों एवं पनडुब्बियों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ऑक्सीजन सिलेंडरों का जीवनकाल बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है।

GET DAILY BIHAR CURRENT AFFAIRS : JOIN TELEGRAM

FOR TEST SERIES AND PDF : DOWNLOAD OUR APP

CURRENT AFFAIRS REVISON E- BOOKS

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Join Our Telegram