मध्य प्रदेश में प्रोजेक्ट चीता: बोत्सवाना से आठ चीतों का भारत में आगमन

परिचय: मध्य प्रदेश सरकार ने घोषणा की है कि भारत जल्द ही अपने प्रोजेक्ट चीता के तहत बोत्सवाना से आठ चीतों को लाएगा। इन चीतों को मध्य प्रदेश के जंगलों में स्थानांतरित किया जाएगा, जिससे भारत में चीतों की संख्या को पुनर्स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है।

प्रोजेक्ट चीता का महत्व:

  • विलुप्ति से पुनर्स्थापना: भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से 1952 में चीतों को विलुप्त जानवर घोषित किया था। प्रोजेक्ट चीता का उद्देश्य चीतों को उनके प्राकृतिक आवास में पुनर्स्थापित करना है।
  • अफ्रीकी चीतों का स्थानांतरण: भारत सरकार, केन्या और दक्षिण अफ्रीका से चीतों को लाने की योजना बना रही है। यह कदम भारत में जैव विविधता को बढ़ाने और चीतों की प्रजातियों को संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण है।

चीता स्थानांतरण की प्रक्रिया:

  • कुणो नेशनल पार्क: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 20 अप्रैल 2025 को कुनो नेशनल पार्क से दो चीतों को गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में छोड़ा। यह स्थानांतरण चीतों के लिए एक सुरक्षित और उपयुक्त वातावरण प्रदान करेगा।
  • दो चरणों में लाना: बोत्सवाना से चीतों को दो चरणों में लाया जाएगा। पहले चरण में, मई 2025 में चार चीतों को लाया जाएगा, जबकि दूसरे चरण में अगले महीनों में चार और चीतों को लाने की योजना है।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए):

  • एनटीसीए, केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत प्रोजेक्ट चीता की कार्यान्वयन एजेंसी है। यह प्राधिकरण चीतों के स्थानांतरण और संरक्षण के लिए आवश्यक सभी प्रक्रियाओं का संचालन करेगा।

अंतरराष्ट्रीय संदर्भ:

  • विश्व में चीतों का प्राकृतिक आवास केवल अफ्रीका और ईरान में पाया जाता है। भारत में चीतों की पुनर्स्थापना से न केवल जैव विविधता में वृद्धि होगी, बल्कि यह पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र बनेगा।

निष्कर्ष: प्रोजेक्ट चीता भारत में चीतों की पुनर्स्थापना के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है, जो न केवल वन्यजीव संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में भी मदद करेगा। इस परियोजना के माध्यम से, भारत एक बार फिर से चीतों का घर बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *