विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने जारी की वैश्विक जलवायु स्थिति रिपोर्ट

वर्ष 2020 के लिये अपनी वार्षिक वैश्विक जलवायु स्थिति (State of the Global Climate) रिपोर्ट जारी की।

वैश्विक तापमान:
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2020 ला-नीना (La Niña) की स्थिति के बावजूद अब तक के तीन सबसे गर्म वर्षों में से एक था।
वैश्विक औसत तापमान जनवरी-अक्तूबर 2020 की अवधि में पूर्व-औद्योगिक स्तर (1850-1900) से 1.2 डिग्री सेल्सियस अधिक था।

ग्रीनहाउस गैसें: वर्ष 2019-2020 में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ा है। यह उत्सर्जन वर्ष 2021 में और अधिक हो जाएगा। वैश्विक स्तर पर कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की सघनता का औसत पहले ही 410 ppm (Parts Per Million) से अधिक हो चुका है।

महासागर:
महासागरों में वर्ष 2019 में सबसे अधिक समुद्री हीट वेव (Marine Heat Wave) दर्ज की गई थी। वर्ष 2020 में लगभग 80 प्रतिशत महासागरीय सतह (Ocean Surfaces) पर कम-से-कम एक बार समुद्री हीट वेव दर्ज की गई।

समुद्र स्तर में बढ़ोतरी:
समुद्र का जलस्तर ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में बर्फ की चादरों के पिघलने से उच्च दर से बढ़ रहा है।

आर्कटिक और अंटार्कटिका:
आर्कटिक समुद्री बर्फ की सीमा वर्ष 2020 में दूसरे निम्नतम स्तर पर आ गई।
आर्कटिक समुद्री बर्फ की न्यूनतम सीमा वर्ष 2020 में 3.74 मिलियन वर्ग किलोमीटर थी, वर्ष 2012 के बाद ऐसा दूसरी बार हुआ कि यह सीमा 4 मिलियन वर्ग किलोमीटर से कम हो गई।

भारत में चरम मौसम की घटनाएँ:
भारत वर्ष 1994 के बाद से ही मानसून में परिवर्तन का अनुभव कर रहा है, जिससे यहाँ गंभीर बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति देखी गई है।
मई 2020 में कोलकाता के तट से टकराने वाला चक्रवात अम्फन (Amphan) को उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र का सबसे महँगा उष्णकटिबंधीय चक्रवात के रूप में नामित किया गया है, जिससे लगभग 14 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ था।

चरम मौसम की स्थिति:
पूरे विश्व में लोग महामारी के साथ-साथ तूफान, चक्रवात, भारी वर्षा और अत्यधिक गर्मी जैसे चरम मौसमी घटनाओं का सामना कर रहे हैं।

कोविड-19 महामारी के कारण आवाजाही संबंधी प्रतिबंधों और आर्थिक मंदी ने घनी बस्ती में रहने वाली कमज़ोर तथा विस्थापित आबादी तक मानवीय सहायता पहुँचाने की प्रक्रिया को धीमा कर दिया।
इस महामारी ने मानव आवाजाही की चिंताओं को और अधिक बढ़ा दिया तथा जलवायु जोखिम को समझने तथा कमज़ोर आबादी पर इसके प्रभाव को कम करने के लिये एक एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

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