TIFAC ने जारी की API (सक्रिय फार्मास्यूटिकल संघटक) पर रिपोर्ट

भारत सरकार के एक स्वायत्त संगठन प्रौद्योगिकी सूचना पूर्वानुमान एवं मूल्यांकन परिषद- (TIFAC) द्वारा हाल ही में सक्रिय फार्मास्यूटिकल सामग्री API : स्थिति, मुद्दे, तत्परता और प्रौद्योगिकी की चुनौतियां नामक एक रिपोर्ट जारी की गई थी।

सक्रिय फार्मास्यूटिकल संघटक-एपीआई: – विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार किसी बीमारी के उपचार, रोकथाम या अन्य औषधीय गतिविधि के लिए आवश्यक दवाओं के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले पदार्थों या पदार्थों के संयोजन को ‘सक्रिय दवा सामग्री’ के नाम से जाना जाता है।

API उद्योग के साथ समस्या: बहुत मज़बूत आधार के बावजूद कम-लाभ होने के कारण घरेलू दवा कंपनियों ने धीरे-धीरे API का उत्पादन बंद कर दिया है और API का आयात करना शुरू कर दिया है, जो दवाओं पर बढ़ते लाभ मार्जिन के कारण एक सस्ता विकल्प था। चीन से भारत का API का आयात लगातार बढ़ रहा है, जो वर्तमान में भारत कुल API आयात का लगभग 68% है।

(TIFAC) ने निम्नलिखित सिफारिश की है- 

1.इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विकास के माध्यम से ‘व्यापक पैमाने पर उत्पादन’ पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।

2.केमिकल इंजीनियरिंग में ‘मिशन मोड परियोजना’ की आवश्यकता है।

3.मेगा ड्रग मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स बनाए जाने की आवश्यकता है।

4.API के उत्पादन में लागत अनुकूलन के लिये प्रक्रिया चरणों को कम करने की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है।

5.चिरल बिल्डिंग ब्लॉक (Chiral Building Blocks) दवाओं के संश्लेषण में प्रयुक्त होने वाले मूल्यवान मध्यवर्ती होते है। भारतीय API उद्योग को अधिकतम सफल बनाने के लिये जैव उत्प्रेरकों के माध्यम से चिरल बिल्डिंग ब्लॉक के उत्पादन पर बल देने की आवश्यकता है।

6.प्रौद्योगिकी विकास, त्वरित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण तथा दवा उद्योग के व्यवसायीकरण के लिये अकादमिक/शिक्षा व्यवस्था और उद्योगों के मध्य बेहतर संपर्क की आवश्यकता है।

7.कुछ क्षेत्रों जैसे रासायनिक खंडों जैसे स्टेरॉयड, अमीनो एसिड, कार्बोहाइड्रेट, न्यूक्लियोसाइड्स आदि में काम करने वाली भारतीय कंपनियों को सरकारी प्रोत्साहन दिये जाने की आवश्यकता है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग’ के तहत एक स्वायत्त निकाय के रूप में फरवरी, 1988 प्रौद्योगिकी सूचना पूर्वानुमान और मूल्यांकन परिषद (TIFAC) का गठन किया गया। यह अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का आकलन करने और महत्त्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों में भारत में भविष्य के तकनीकी विकास की दिशा निर्धारित करने में कार्य करता है।

 

 

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